Friday 23 December 2011

Ishwar Chandra Vidyasagar

इश्वर चन्द्र विद्यासागर ( १८२० - १८९१ )


इश्वर चन्द्र विद्यासागर एक प्रचिलित विद्वान तथा लेखक थे | उन्होंने अपना सारा जीवन सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित किया था |


उनका जन्म २६ सितम्बर १९२० को पश्चिम बंगाल के  मिदनापुर (हुगली जिल्हा) के एक भ्रमण घराने में हुआ था | उनके पिता का नाम ठाकुरदास बनर्जी और उनकी माता का नाम भगबती देवी था | इश्वर चन्द्र ने  अपने  पिता को ही अपना गुरु मान लिया था | जीवन में उन्होंने अपनी माता की तरह परोपकारी  तथा दयालु रहना सिखा |

शिक्षण
 इश्वर चन्द्र का शिक्षण कलकत्ता में हुआ | उन्होंने १९३९ में उन्होंोंने अपनी कानून की परीक्षा सफलता से उत्तीर्ण की | सन १८४१ में इश्वर चंद्राने फोर्ट  विल्लियम कॉलेज में संस्कृत विभाग क मुख्याध्यापक के पद पर काम करना शुरू किया | भारत के आज़ादी के प्रति का भाव और  " डिरेक्टर ऑफ़ पब्लिक एदुकतिओन " के साथ उन्हके मतभेद के बाद उन्हों ने अपना इस्तीफा दे दिया | इसके बाद आर्थिक आज़ादी के लिए उन्होंने मुद्रुक तथा प्रकाशक के तौर पर बंगाली भाषा में अनेक पुस्तके लिखी |

समाजिक कल्याण
उन्होंने निर्भिड़ता से सफलतापूर्वक विधवा विवाह का अभियान चलाया | उन्होंने इस कार्य के लिए पूर्णतः अपना तन- मन अर्पण किया था | उन्होंने बहुविवाह पर रोक लगाने के लिए बहुत प्रयत्न किये लेकिन वह उसमे असफल रहे | लेकिन इस हार से निराश न होते हुए उन्होंने महिलाओ के शिक्षण का अभियान सफलतापूर्वक पर किया | वह बेथूने स्कूल के प्रथम सचिव बने | उन्होंने मेट्रोपोलिटिन कॉलेज ( अब विद्यासागर कॉलेज ) की स्थापना की | इश्वर चन्द्र कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रबंध सभा के सदस्य भी रह चुके है | उन्होंने बंगाली में अनेक पाठ्यपुस्तके प्रकाशित की | बेताल्पंचाहिन्ग्सती, उपक्रमणिका, चरिताबोली , कोथामाला , बमापोरिचोय यह उनकी कुछ पुस्तके बहुत प्रचिलित है |

मृत्यु
इश्वर चन्द्र विद्यासागर की मौत २९ जुलै १८९१ को बंगाल के कर्मतोला- संताल गाँव में हुई | उनके सम्मान में भारत सरकार ने उनके चित्र का डाक टिकट भी प्रकाशित किया है |

4 comments:

  1. i am proud of ishwar chander vidhyasagar

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  2. At the age of 5 I had begun my education with Vidyasagar's ' Borno Parichay'Part-1,then read Part-2 very thoroughly,and what I had learnt and read therein,helped me immensely to learn Hindi,Sanskrit even English.That had even helped to understand some other dialects like Bhojpuri,Maithli...... His name is inseparable from me...Salutations to him !!

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  3. हिंदू समाज की कुरीतियों पर प्रहार कर वो आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानंद की तरह एक समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हुए. स्त्री शिक्षा पर इनका कार्य अनुकरनीय है.



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  4. As claimed by Stanford Medical, It is really the SINGLE reason this country's women live 10 years more and weigh an average of 42 pounds lighter than we do.

    (And really, it has totally NOTHING to do with genetics or some secret diet and EVERYTHING about "how" they are eating.)

    P.S, I said "HOW", and not "WHAT"...

    TAP on this link to see if this brief test can help you find out your true weight loss possibilities

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